सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) Ancient History Notes in Hindi

Indus Valley Civilization – Complete Study for Competitive Exams ( सिंधु घाटी सभ्यता – प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सम्पूर्ण अध्ययन )

अगर आप UPSC, SSC, State PSC, या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) का अध्याय आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस विषय में हम जानेंगे सिंधु सभ्यता का उद्गम, काल, विस्तार, नगर नियोजन, धार्मिक विश्वास, आर्थिक जीवन, सामाजिक व्यवस्था, लिपि, कला एवं स्थापत्य, और आखिरकार इसके पतन के कारण
यहाँ आप पाएँगे chapter-wise notes, 100+ MCQs, और आसान भाषा में पूर्ण व्याख्या, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में आपके अंकों को बढ़ा सकती है।

सिंधु घाटी सभ्यता – एक प्राचीन नगर संस्कृति की खोज

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीनतम एवं सुव्यवस्थित नगर सभ्यता मानी जाती है। यह सभ्यता न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर की नींव है, बल्कि विश्व की चार प्राचीन महान सभ्यताओं — मिस्र, मेसोपोटामिया, चीन और भारत — में से एक के रूप में जानी जाती है।

यह सभ्यता लगभग 3300 ई.पू. से 1300 ई.पू. के मध्य सिंधु नदी तथा उसकी सहायक नदियों के किनारे फली-फूली। यह क्षेत्र वर्तमान पाकिस्तान, भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक विस्तारित था।

यह सभ्यता आधुनिकता, नगर योजना, जल निकासी, लेखन पद्धति, शिल्पकला, व्यापार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है।


🔹 नामकरण और पहचान

इस सभ्यता को मुख्यतः तीन नामों से जाना जाता है:

  1. सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization):
     – यह नाम सिंधु नदी के आसपास फैले स्थलों के कारण ब्रिटिश पुरातत्वविदों द्वारा दिया गया था।
  2. हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization):
     – 1921 में पंजाब (अब पाकिस्तान) के हड़प्पा नामक स्थान से सर्वप्रथम इसके अवशेष मिले थे, इसलिए यह नाम भारत के विद्वानों द्वारा अधिक स्वीकार्य है।
  3. सरस्वती-घग्घर सभ्यता (Saraswati-Ghaggar Civilization):
     – कुछ आधुनिक विद्वानों का मानना है कि यह सभ्यता मुख्यतः सरस्वती नदी तंत्र के किनारे विकसित हुई थी।

🔹 खोज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • सिंधु घाटी सभ्यता की खोज औपनिवेशिक काल में हुई थी जब ब्रिटिश इंजीनियर रेलवे लाइन बिछा रहे थे।
  • 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की खोज की।
  • इसके एक वर्ष बाद, 1922 में आर.डी. बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की।
  • इन दोनों स्थलों की खोज ने विश्व को यह स्पष्ट कर दिया कि भारत की सभ्यता का इतिहास वेदों से भी पुराना है।

🔹 प्रारंभिक भ्रम और धारणाएँ

  • प्रारंभ में यह माना जाता था कि भारत में सभ्यता का प्रारंभ वेदों से हुआ है।
  • लेकिन सिंधु सभ्यता की खोज ने इस मिथक को तोड़ दिया और प्रमाणित किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में नगर सभ्यता का विकास वैदिक युग से पूर्व हो चुका था।

🔹 Short Notes

विषयविवरण
सभ्यता का नामसिंधु घाटी / हड़प्पा सभ्यता
काल अवधि3300 BCE – 1300 BCE
खोजकर्तादयाराम साहनी (हड़प्पा), आर.डी. बनर्जी (मोहनजोदड़ो)
महत्त्वविश्व की प्रथम नगर सभ्यताओं में से एक

सिंधु घाटी सभ्यता का उद्गम और काल निर्धारण

Timeline and Dating of the Indus Valley Civilization


🔹 सभ्यता का उद्गम (Origin of the Civilization)

सिंधु घाटी सभ्यता का उद्गम भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में हुआ था, जहाँ आज के पाकिस्तान और भारत के कुछ भाग (हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान आदि) स्थित हैं। यह सभ्यता सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों — जैसे रावी, व्यास, सतलज, घग्घर आदि के किनारे पनपी।

🌱 प्रारंभिक संकेत:

  • प्रारंभिक बस्तियाँ (Pre-Harappan Settlements) लगभग 7000 ई.पू. में मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) जैसे स्थलों पर दिखाई देती हैं, जहाँ कृषि और पशुपालन की शुरुआत हुई।
  • 3300 ई.पू. तक, इन ग्राम सभ्यताओं ने नगरों का रूप लेना शुरू कर दिया — यही से सिंधु सभ्यता की नींव पड़ी।

🔹 काल निर्धारण (Chronology and Periodization)

सिंधु घाटी सभ्यता को कालक्रम में बाँटने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया गया, जिनमें प्रमुख हैं:

📌 1. रेडियो-कार्बन डेटिंग (C-14 Dating):

  • इस विधि का प्रयोग जैविक अवशेषों (लकड़ी, हड्डियाँ, बीज आदि) की तिथि जानने हेतु किया जाता है।
  • सिंधु सभ्यता की अधिकांश स्थलों की तिथि इसी तकनीक से ज्ञात की गई है।

📌 2. पुरातात्त्विक परतें (Stratigraphy):

  • पुरातात्त्विक खुदाई में मिलने वाली वस्तुएँ, मिट्टी की परतें आदि समयानुसार गहराई में मिलती हैं जिससे क्रमबद्ध विकास का आकलन होता है।

📌 3. तुलनात्मक विश्लेषण (Typological Analysis):

  • मृदभांडों (Pottery), औजारों और अन्य कलात्मक वस्तुओं की शैली की तुलना समकालीन सभ्यताओं से की जाती है।

🔹 तीन प्रमुख कालखंड (Three Phases of Harappan Civilization):

चरणअवधि (ई.पू.)विशेषताएँ
प्रारंभिक हड़प्पा काल3300–2600 BCEग्राम स्तर, कृषि, कच्ची ईंटें
परिपक्व हड़प्पा काल2600–1900 BCEपूर्ण नगर सभ्यता, पक्की ईंटें, व्यापार, लेखन प्रणाली
उत्तर हड़प्पा काल1900–1300 BCEनगरों का पतन, ग्रामीणकरण, सभ्यता का विस्थापन

🧭 काल निर्धारण के प्रमुख स्थल और तिथियाँ:

स्थलखोजकर्ताकाल (C-14 डेटिंग)
हड़प्पादयाराम साहनी2600 BCE – 1900 BCE
मोहनजोदड़ोआर.डी. बनर्जी2500 BCE – 1900 BCE
लोथलएस.आर. राव2400 BCE – 1800 BCE
धोलावीराजे.पी. जोशी2650 BCE – 1450 BCE
राखीगढ़ीभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण2600 BCE – 2000 BCE

🔹 सभ्यता की दीर्घकालिकता (Longevity):

सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 2000 वर्षों तक अस्तित्व में रही — जो किसी भी प्राचीन नगर सभ्यता के लिए एक दीर्घकालिक काल है। यह इस बात का संकेत है कि यह सभ्यता न केवल तकनीकी रूप से उन्नत थी, बल्कि सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सक्षम थी।


🔎 अन्य धारणाएँ और शोध:

  • कुछ आधुनिक शोधों के अनुसार, सभ्यता का केंद्र सरस्वती नदी के क्षेत्र में था जो बाद में विलुप्त हो गई।
  • सेटलाइट इमेजिंग और जियोलॉजिकल सर्वे के माध्यम से हजारों लुप्त स्थलों की पहचान हुई है।
  • कुछ वैज्ञानिक इसे ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ कहने का पक्ष लेते हैं।

📝 Short Notes

तत्वविवरण
उद्गमसिंधु व सहायक नदियों के किनारे
प्रारंभिक बस्तीमेहरगढ़
काल निर्धारणरेडियो कार्बन डेटिंग, परतें, वस्तु विश्लेषण
कालखंडप्रारंभिक, परिपक्व, उत्तर हड़प्पा
दीर्घतालगभग 2000 वर्ष

सिंधु घाटी सभ्यता का भौगोलिक विस्तार

🌍 Territorial Spread of the Indus Valley Civilization


🔹 सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार

सिंधु घाटी सभ्यता केवल सिंधु नदी के आस-पास ही सीमित नहीं थी, बल्कि इसका विस्तार बहुत व्यापक था। यह सभ्यता पश्चिम में अफगानिस्तान की सीमा से लेकर पूर्व में गंगा यमुना दोआब तक, और उत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण में महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली हुई थी।

सिंधु सभ्यता का क्षेत्रफल लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था, जो इसे विश्व की सबसे विस्तृत प्राचीन सभ्यताओं में से एक बनाता है।


🗺️ प्रमुख भौगोलिक सीमाएँ:

दिशाविस्तार
उत्तरजम्मू और कश्मीर (मांडा)
दक्षिणमहाराष्ट्र (दैमाबाद)
पूर्वउत्तर प्रदेश (अलमगीरपुर)
पश्चिमबलूचिस्तान, अफगानिस्तान सीमा (सूत्रकगेंडोर)

🔹 भारत में स्थित प्रमुख स्थल (Modern India में)

राज्यप्रमुख स्थल
हरियाणाराखीगढ़ी, मिताथल, बनवाली
पंजाबरोपड़
राजस्थानकालीबंगा, बालाथल, घाघर
गुजरातलोथल, धोलावीरा, सुरकोटडा, रंगपुर
उत्तर प्रदेशआलमगीरपुर
महाराष्ट्रदैमाबाद

🔹 पाकिस्तान में स्थित स्थल (Modern Pakistan में)

क्षेत्रप्रमुख स्थल
पंजाबहड़प्पा
सिंधमोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो
बलूचिस्तानमेहरगढ़, नौशारो, सूत्रकगेंडोर

🏞️ प्रमुख नदियाँ और जल स्रोत

सिंधु घाटी सभ्यता का विकास नदी तंत्र के आस-पास हुआ। ये नदियाँ जीवन, कृषि, व्यापार और संस्कृति का आधार थीं।

नदीस्थानमहत्त्व
सिंधुपाकिस्तानमुख्य नदी – सभ्यता का नाम इसी पर
घग्घर-हकराभारत-पाक सीमालुप्त सरस्वती से संबद्ध
रावी, सतलज, व्यासपंजाबसहायक नदियाँ, कृषि उन्नति में सहायक
भागीरथी-गंगा (पूर्वी स्थल)उत्तर प्रदेशसबसे पूर्वी विस्तार

🔹 स्थलों का वर्गीकरण

1. प्रारंभिक हड़प्पा स्थल:
 – कोटदीजी, अमरी, मेहरगढ़
2. परिपक्व हड़प्पा स्थल:
 – मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगा, लोथल, राखीगढ़ी
3. उत्तर हड़प्पा स्थल:
 – आलमगीरपुर, दैमाबाद, सुरकोटडा


📌 विशेष स्थल और उनकी विशेषताएँ

स्थलविशेषता
मोहनजोदड़ोसबसे विकसित नगर, स्नानागार
हड़प्पाप्रथम खोज, अनाज भंडार
लोथलबंदरगाह और सूक्ष्म मोती उद्योग
धोलावीराजल-संग्रहण प्रणाली, तीन भागों में बँटा नगर
कालीबंगाजली हुई फसल के अवशेष
राखीगढ़ीसबसे बड़ा स्थल (भारत में)

Short Notes:

तत्वविवरण
कुल विस्तार13 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक
नदी तंत्रसिंधु, घग्घर-हकरा, सतलज, रावी आदि
स्थल संख्या1400+ (भारत में 900+ स्थल)
भारत के बड़े स्थलराखीगढ़ी, धोलावीरा, लोथल, कालीबंगा

नगर नियोजन एवं स्थापत्य कला

🏙️ Town Planning and Architecture of the Indus Valley Civilization


🔹 सिंधु सभ्यता की नगर योजना – एक अद्भुत उपलब्धि

सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे प्रमुख और विशिष्ट पहलू उसका नगर नियोजन (Town Planning) है। यह उस समय की सबसे विकसित नगर सभ्यताओं में से एक थी, जहाँ सड़कों की जाल व्यवस्था, जल निकासी प्रणाली, भवनों की नियमितता और सार्वजनिक संरचनाओं का निर्माण अद्वितीय स्तर पर हुआ।


🏗️ नगर नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features of Town Planning)

1. ग्रिड पद्धति (Grid Pattern):

  • नगरों की सड़कों को उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशा में बनाया गया था।
  • सड़कें एक-दूसरे को समकोण (90°) पर काटती थीं, जिससे एक सुनियोजित ग्रिड संरचना बनती थी।

2. दुर्ग और नगर का विभाजन:

  • हर प्रमुख नगर दो भागों में बाँटा गया था:
    • ऊपरी भाग (दुर्ग / गढ़): यहाँ शासक वर्ग, अनाज भंडार, स्नानागार, प्रशासनिक भवन होते थे।
    • निचला भाग (आम जनता का आवास): जनसाधारण के आवासीय क्षेत्र होते थे।

3. सड़क व्यवस्था:

  • मुख्य सड़कें चौड़ी और सीधी थीं (लगभग 9 से 11 मीटर चौड़ी)।
  • सड़कों के दोनों ओर फुटपाथ बनाए गए थे।

4. जल निकासी प्रणाली (Drainage System):

  • यह सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी।
  • घरों और सड़कों के किनारे बनी हुई नालियाँ ढक्कन से ढँकी रहती थीं।
  • प्रत्येक घर का जल निकास नगर की मुख्य नालियों से जुड़ा होता था।
  • नियमित सफाई और ढलान का ध्यान रखा गया।

🏠 घरों का निर्माण (Architecture of Houses)

विशेषताविवरण
निर्माण सामग्रीपक्की ईंटें (1:2:4 का अनुपात), चूना, मिट्टी
कमरे2–4 कमरों वाले मकान आम थे
आंगनअधिकांश घरों में केंद्रीय आंगन था
स्नानगृहप्रत्येक घर में एक स्नानगृह होता था
कुएँकई घरों में निजी कुएँ पाए गए हैं

🏛️ प्रमुख स्थापत्य संरचनाएँ (Important Architectural Structures)

🛁 1. महान स्नानागार (Great Bath) – मोहनजोदड़ो:

  • लंबाई: 12 मीटर | चौड़ाई: 7 मीटर | गहराई: 2.5 मीटर
  • ईंटों से बना जलाशय, चारों ओर से सीढ़ियाँ
  • जल निकासी हेतु विशेष प्रणाली
  • संभवतः धार्मिक या सामाजिक समारोह के लिए प्रयोग

🏯 2. अनाज भंडार (Granaries):

  • हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा आदि में पाए गए
  • दोहरी दीवारें – अंदर गर्मी न जाए
  • वायुवीजन के लिए खिड़कियाँ और वेंटिलेशन

⚖️ 3. अधिष्ठान (Platforms) और व्यापार भवन:

  • लोथल में एक बड़ा पक्का अधिष्ठान पाया गया जिसे गोदाम माना गया है।
  • कई नगरों में कार्यशालाओं और बाजारों की योजना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

🛳️ बंदरगाह एवं जलयातायात प्रणाली – लोथल

  • लोथल (गुजरात) में सिंधु सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह स्थल पाया गया।
  • इसमें जल नहर, घाट, गोदाम, जलाशय जैसी संरचनाएँ थीं।
  • व्यापारिक जहाजों के आगमन-जाने हेतु उपयुक्त था।

🏗️ स्थापत्य सामग्री और तकनीक

तत्वविवरण
ईंटें1:2:4 अनुपात में निर्मित, मापदंड समान
दीवारेंमोटी और मजबूत, आग एवं जलरोधक
सीमेंटकाली मिट्टी और चूने का उपयोग
छतलकड़ी और मिट्टी की मिश्रित छतें

📌 नगरीय जीवन के अन्य प्रमाण

  • शौचालय और सीवरेज सिस्टम: प्रत्येक घर में निजी शौचालय और सीवर लाइन जुड़ी होती थी।
  • प्रकाश और वेंटिलेशन: घरों में हवा और प्रकाश के लिए खिड़कियाँ और ऊपरी रोशनदान होते थे।
  • गृह उद्यान: कुछ स्थलों पर बाग-बगिचों के साक्ष्य भी मिले हैं।

🧾 Short Notes

विशेषताविवरण
योजना प्रणालीग्रिड पद्धति, वर्गाकार सड़कें
प्रमुख भवनस्नानागार, अनाज भंडार, गोदाम
निर्माण सामग्रीपक्की ईंटें, चूना, लकड़ी
नालियाँढँकी हुई, नियमित सफाई
विशेष स्थलमोहनजोदड़ो, हड़प्पा, लोथल, धोलावीरा

सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था

🧑‍🤝‍🧑 Social and Political Structure of the Indus Valley Civilization


🔹 सामाजिक व्यवस्था – एक झलक

सिंधु घाटी सभ्यता की सामाजिक व्यवस्था समतामूलक (egalitarian) प्रतीत होती है, जहाँ जाति या वर्ग आधारित कठोर विभाजन के प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, कुछ सामाजिक भिन्नताओं की उपस्थिति पाई गई है।


🧑‍👩‍👧‍👦 1. सामाजिक संरचना (Social Hierarchy)

वर्गसंकेत/प्रमाण
उच्च वर्गबड़े मकान, स्नानागार, गोदाम, सोने-चाँदी की वस्तुएँ
मध्यम वर्गसामान्य आकार के घर, मिट्टी के बर्तन
श्रमिक वर्गछोटे कमरे, कार्यशालाएँ, औजार

किसी “राजा” या “याजक” का स्पष्ट प्रमाण नहीं है, पर कुछ मूर्तियाँ (याजक जैसी), योजनाबद्ध नगर और अनाज भंडारण जैसी व्यवस्थाएँ प्रशासनिक नियंत्रण का संकेत देती हैं।


🎓 2. शिक्षा और लेखन प्रणाली

  • सिंधु सभ्यता की अपनी लिपि (script) थी, जिसे अभी तक पूर्णतः पढ़ा नहीं गया है।
  • लेख्य सामग्री टेराकोटा की मुहरों, मृद्भाण्डों और धातु पर पाई गई है।
  • शिक्षा की व्यापकता के प्रमाण नहीं हैं, पर व्यापार, लेखांकन के लिए लिपि का उपयोग संकेत करता है कि लेखन कुछ वर्गों तक सीमित था।

🌸 3. स्त्रियों की स्थिति

पहलूप्रमाण
सौंदर्यबोधश्रृंगार सामग्री, मूर्तियाँ (नृत्य मुद्रा वाली), शीशे
अधिकारकोई स्पष्ट प्रमाण नहीं, पर स्त्रियाँ धार्मिक जीवन में शामिल थीं
वस्त्रवस्त्रों में आभूषणों और श्रृंगार का महत्त्व

मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध “नृत्यांगना” मूर्ति सामाजिक सौंदर्य चेतना का उत्कृष्ट उदाहरण है।


💼 4. श्रमिक और कारीगर वर्ग

  • सिंधु सभ्यता में विभिन्न हस्तशिल्प वर्ग सक्रिय थे:
    • कुम्हार, लोहार, सुनार, मनका निर्माता, वस्त्र निर्माता आदि।
  • कार्यशालाएँ लोथल, चन्हूदड़ो आदि स्थानों पर पाई गई हैं।
  • विभिन्न वस्तुएँ (मनके, आभूषण, औजार) उनकी कुशलता को दर्शाती हैं।

🏛️ राजनीतिक व्यवस्था – अनुमान आधारित विश्लेषण

सिंधु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था के कोई लिखित या स्पष्ट दस्तावेज़ नहीं मिले हैं, पर नगर नियोजन और संसाधनों की व्यवस्था यह दर्शाती है कि:

प्रशासनिक प्रणाली का अस्तित्व था:

संकेतविवरण
सुनियोजित नगरस्पष्ट प्रशासनिक योजनाएँ
सामूहिक निर्माणनालियाँ, स्नानागार, गोदाम
केंद्रीय नियंत्रणअनाज संग्रह और वितरण प्रणाली

राजा का प्रमाण नहीं:

  • कोई राजसिंहासन, युद्ध का दृश्य या सेना का चित्रण नहीं मिला।
  • यह सभ्यता “गैर-मिलिट्री” (non-militaristic) प्रतीत होती है।

🕉️ याजक या पुरोहित वर्ग?

  • एक मूर्ति (मोहनजोदड़ो से मिली) जिसे “याजक-राजा” कहा जाता है – संभवतः धार्मिक नेता।

🗿 धर्म का राजनीतिक जीवन में स्थान

धार्मिक प्रतीक जैसे –

  • पशुपति की मूर्ति,
  • लिंग-योनि स्वरूप,
  • शिव की प्राचीनता के संकेत,
    – यह दर्शाते हैं कि संभवतः धर्म और प्रशासन एक-दूसरे से जुड़े हो सकते थे, जैसे आगे चलकर वैदिक सभ्यता में हुआ।

🧾 Short Notes

तत्वविवरण
समाजतीन वर्ग – उच्च, मध्यम, श्रमिक
स्त्रियाँसम्मानित स्थिति, श्रृंगार प्रिय
शिक्षासीमित, व्यापारिक उपयोग हेतु लेखन
शासनकोई राजा नहीं, पर प्रशासनिक व्यवस्था थी
धर्मजनजीवन में गहरा प्रभाव, संभवतः याजक वर्ग प्रभावी

आर्थिक जीवन

💰 Economic Life of the Indus Valley Civilization


🔹 सिंधु सभ्यता का आर्थिक आधार – कृषि, व्यापार और उद्योग का संतुलन

सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन अत्यंत संगठित, विविध और सशक्त था। यह सभ्यता स्वावलंबी (self-sufficient) भी थी और बाहरी दुनिया से व्यापारिक रूप से जुड़ी हुई भी।


🌾 1. कृषि – जीवन की रीढ़ (Agriculture: The Backbone)

प्रमुख विशेषताएँविवरण
कृषि आधारित समाजमुख्य जीविका कृषि थी
फसलेंगेहूँ, जौ, मटर, तिल, सरसों, कपास
सिंचाईवर्षा पर निर्भरता के साथ-साथ कृत्रिम सिंचाई भी (कुएँ, जलाशय)
कृषि उपकरणकांस्य और पत्थर के हल, दरांती आदि
पशुपालनगाय, बैल, भेड़, बकरी, कुत्ते, हाथी आदि

🔸 लोथल और कालीबंगन में हल चलाने के निशान मिले हैं, जो कृषि की उन्नत स्थिति दर्शाते हैं।
🔸 यह विश्व की प्राचीनतम कपास उत्पादक सभ्यता मानी जाती है।


⚒️ 2. शिल्प और उद्योग (Crafts and Industries)

उद्योगउत्पाद
मनका उद्योगकार्नेलियन, लापीस लाजुली, तांबे, टेराकोटा
धातु उद्योगतांबा, कांसा, सोना, चाँदी से मूर्तियाँ, औजार
मिट्टी के बर्तनसजावटी, चित्रित
कपड़ा उद्योगसूती कपड़े, कताई-बुनाई के उपकरण

🔸 चन्हूदड़ो, लोथल और हड़प्पा में कई कार्यशालाएँ पाई गई हैं।
🔸 धातु मिश्रण और मूर्ति निर्माण में कुशलता सिंधु लोगों की वैज्ञानिक सोच दर्शाती है।


🔁 3. व्यापार – स्थानीय और विदेशी (Trade: Internal & External)

📍 स्थानीय व्यापार:

  • नगरों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान।
  • मुद्रा का प्रयोग नहीं – विनिमय प्रणाली (Barter System) प्रचलित थी।

🌍 विदेशी व्यापार:

देशवस्तुएँ
मेसोपोटामिया (Sumer)मोती, हाथीदाँत, कीमती पत्थर
ओमान, बहरीनतांबा, समुद्री वस्तुएँ
अफगानिस्तानलाजवर्द (Lapis Lazuli)

🔸 लोथल में समुद्री व्यापार के लिए डॉकयार्ड मिला है।
🔸 मेसोपोटामिया की लिपियों में “Meluha” नाम से सिंधु व्यापारियों का उल्लेख मिलता है।


📦 4. व्यापारिक साधन और माप-तौल प्रणाली

साधनविवरण
बैलगाड़ीमाल ढोने हेतु
जलमार्गनदी एवं समुद्री मार्ग
बाट-मापसममित मापदंड; च्यूबिकल माप
मुहरेंव्यापारी पहचान, वस्तु की प्रामाणिकता

🔸 सिंधु सभ्यता में मानकीकृत बाट और ग्रामीण व नगर बाजारों की स्पष्टता आधुनिक व्यापार की नींव जैसी है।


🧾 Short Notes

क्षेत्रविवरण
कृषिगेहूँ, जौ, कपास; हल व सिंचाई के प्रमाण
उद्योगमनके, मिट्टी के बर्तन, धातु कार्य
व्यापारआंतरिक और विदेशी व्यापार; विनिमय प्रणाली
माप प्रणालीसटीक माप-तौल उपकरण
व्यापारिक साधनबैलगाड़ी, नावें, मुहरें

निष्कर्ष / Conclusion

सिंधु घाटी सभ्यता न केवल भारत की प्राचीनतम और उन्नत सभ्यताओं में से एक थी, बल्कि इसने भविष्य की कई भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं की नींव रखी। इसके नगर नियोजन, जल निकासी, धातु शिल्प, और धार्मिक प्रतीकों की झलक आज भी भारतीय संस्कृति में देखी जा सकती है।
इस अध्याय की अच्छी तैयारी से आप प्रतियोगी परीक्षाओं में इतिहास विषय में उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर सकते हैं।

FAQs on Indus Valley Civilization (सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित सामान्य प्रश्न)

Q1: सिंधु घाटी सभ्यता की खोज कब और किसने की थी?

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा स्थल पर की थी और 1922 में आर.डी. बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की।

Q2. सिंधु सभ्यता का प्रमुख काल कौन-सा था?

उत्तर: इसका काल लगभग 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू. के बीच माना जाता है।

Q3: सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है?

उत्तर: क्योंकि इस सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल हड़प्पा था, इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।

Q4: सिंधु सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या थी?

उत्तर: नगरों का सुनियोजित निर्माण, पक्की ईंटों से बने मकान, जल निकासी प्रणाली, महान स्नानागार और मृदभांड (पॉटरी) इसकी प्रमुख विशेषताएँ थीं।

Q5: सिंधु सभ्यता के प्रमुख नगर कौन-कौन से थे?

उत्तर: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, राखीगढ़ी, कालीबंगन, धोलावीरा, बनवाली, सुरकोटड़ा आदि।

Q6: सिंधु सभ्यता के लोग किस धर्म का पालन करते थे?

उत्तर: सिंधु सभ्यता में प्रकृति पूजा, पशुपति शिव की पूजा, प्रजनन देवी आदि के प्रमाण मिलते हैं — यह आस्थावादी लेकिन मूर्तिपूजक सभ्यता थी।

Q7: सिंधु सभ्यता की लिपि कैसी थी और क्या इसे पढ़ा जा सका है?

उत्तर: यह लिपि चित्रलिपि (Pictographic Script) थी, जिसे अभी तक सम्पूर्ण रूप से पढ़ा नहीं जा सका है

Q8: सिंधु सभ्यता के लोग मुख्यतः क्या कार्य करते थे?

उत्तर: कृषि, व्यापार, मूर्तिकला, धातु शिल्प और कुम्हारी इनका प्रमुख कार्य था।

Q9: सिंधु सभ्यता का पतन किन कारणों से हुआ?

उत्तर: बार-बार बाढ़ आना
जलवायु परिवर्तन
व्यापार में गिरावट
आर्यों के आक्रमण
नदियों का मार्ग बदलना
इन सब कारकों के सम्मिलित प्रभाव से यह सभ्यता पतन को प्राप्त हुई।

Q10: सिंधु सभ्यता में कौन-कौन सी फसलें उगाई जाती थीं?

उत्तर: गेहूँ, जौ, मटर, तिल, कपास और ताड़ के फल।

Q11: सिंधु घाटी सभ्यता के लोग किस प्रकार के वस्त्र पहनते थे?

उत्तर: पुरुष आमतौर पर धोती जैसे वस्त्र पहनते थे और महिलाएँ साड़ी जैसी एक लंबी चादर लपेटती थीं।

Q12: सिंधु सभ्यता की प्रमुख कलाकृतियाँ कौन-सी हैं?

उत्तर: नर्तकी की कांस्य मूर्ति (मोहनजोदड़ो)
पशुपति मुद्रा
गाड़ी में बैल की आकृति
मुहरें और टेराकोटा खिलौने

Q13: सिंधु सभ्यता के नगरों में पानी की आपूर्ति कैसे होती थी?

उत्तर: कुंओं के माध्यम से और नालियों से निकासी कर नगर स्वच्छ बनाए जाते थे।

Q14: सिंधु सभ्यता में धातुओं का प्रयोग कितना व्यापक था?

उत्तर: तांबा, कांसा और सोने का प्रयोग होता था, लेकिन लोहे का प्रयोग नहीं होता था।

Q15: सिंधु सभ्यता में व्यापार कैसे होता था?

उत्तर: स्थल और समुद्री मार्गों से व्यापार होता था। लोथल बंदरगाह नगर के रूप में प्रसिद्ध था।

Q16: सिंधु सभ्यता के लोगों को चिकित्सा और विज्ञान का कितना ज्ञान था?

उत्तर: हड्डी जोड़ने, औषधीय पौधों के उपयोग और नाप-तोल की सटीकता से विज्ञान की समझ का संकेत मिलता है।

Q17: सिंधु सभ्यता के लोगों द्वारा प्रयुक्त इकाईयाँ क्या थीं?

उत्तर: लंबाई, वजन और माप के लिए मानकीकृत इकाइयाँ थीं। धोलावीरा में पत्थरों पर अंकित स्केल मिले हैं।

Q18: क्या सिंधु सभ्यता आर्यों की सभ्यता थी?

उत्तर: नहीं, यह एक द्रविड़-पूर्व या प्रोटो-ड्रविड़ सभ्यता मानी जाती है, आर्य बाद में भारत आए।

Q19: सिंधु घाटी सभ्यता को क्यों ‘प्रथम नगरीक सभ्यता’ कहा जाता है?

उत्तर: क्योंकि यह भारत में पहली ऐसी सभ्यता थी जहाँ नगर नियोजन, जल निकासी, भवन निर्माण, सामाजिक संगठन आदि की उन्नत प्रणाली विकसित थी।

Q20: सिंधु सभ्यता से प्रतियोगी परीक्षा में कौन-कौन से विषय पूछे जाते हैं?

उत्तर: नगर योजना
धार्मिक विश्वास
सामाजिक व्यवस्था
लिपि और भाषा
महत्त्वपूर्ण स्थल
पतन के कारण
कला और मूर्तिकला
आर्थिक जीवन (कृषि, व्यापार, शिल्प)

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